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Proud Red Rose Moral Story: घमंडी लाल गुलाब: एक प्रेरक कहानी

A proud red rose and a cactus in a forest scene with sparrows.A red rose learns humility from its neighbor, the cactus.

Proud Red Rose Moral Story: घमंडी लाल गुलाब: एक प्रेरक कहानी

एक घमंडी लाल गुलाब और एक कैक्टस की प्रेरक कहानी (Proud Red Rose Moral Story) जो हमें सिखाती है कि बाहरी रूप से किसी को आंकना गलत है।

वसंत की शुरुआत

एक बार वसंत के मनमोहक मौसम में, जंगल में एक खूबसूरत लाल गुलाब खिला। उसकी चमचमाती पंखुड़ियां और मनमोहक सुगंध सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही थीं। जैसे ही गुलाब ने चारों ओर देखा, पास के एक देवदार के पेड़ ने कहा, “क्या खूबसूरत फूल है! काश, मैं भी इतना सुंदर होता।”

देवदार के इस उदास स्वर को सुनकर, पास के दूसरे पेड़ ने उसे समझाया, “प्रिय देवदार, उदास मत हो। हर किसी को सब कुछ नहीं मिलता। तुम्हारी ऊँचाई और छाया भी बहुत उपयोगी हैं।”

घमंड का प्रदर्शन

लेकिन गुलाब ने अपनी सुंदरता पर घमंड करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि मैं इस पूरे जंगल का सबसे खूबसूरत फूल हूँ। कोई भी मेरी तरह सुंदर नहीं हो सकता।” उसकी इस बात को सुनकर, पास के सूरजमुखी ने सिर उठाकर कहा, “ऐसा क्यों कहते हो? इस जंगल में कई सुंदर फूल हैं। तुम उनमें से केवल एक हो।”

गुलाब ने घमंड भरे स्वर में जवाब दिया, “मुझे देखो, सब मेरी प्रशंसा करते हैं। मुझे देखने के लिए हर कोई रुकता है।” यह कहकर उसने अपनी नज़र पास खड़े कैक्टस पर डाली और तिरस्कार भरे स्वर में कहा, “देखो उस बदसूरत पौधे को, जो कांटों से भरा है! इसे तो कोई पसंद नहीं करता।”

देवदार ने शांत स्वर में कहा, “लाल गुलाब, ऐसा मत कहो। हर किसी की अपनी खूबसूरती और उपयोगिता होती है। तुम्हारे भी कांटे हैं। फिर तुम कैक्टस को क्यों ताना मारते हो?”

गुलाब ने गुस्से से कहा, “तुम्हें सुंदरता की समझ नहीं है। मेरे कांटे तो छोटे और आकर्षक हैं, लेकिन कैक्टस के कांटे तो भद्दे और डरावने लगते हैं।”

यह सुनकर देवदार सोचने लगा, “यह कितना घमंडी और तुच्छ फूल है। इसे समझाने का कोई फायदा नहीं।”

समय का इम्तिहान

दिन बीतते गए। गुलाब ने कैक्टस को बार-बार अपमानित किया और उसे बेकार और बदसूरत कहता रहा। कैक्टस ने कभी भी गुलाब की बातों का बुरा नहीं माना और शांत रहा। धीरे-धीरे, गर्मियों का मौसम आया। जंगल में बारिश नहीं हुई, और पानी की कमी से सभी पौधों और जानवरों का जीवन कठिन हो गया। गर्मी और पानी की कमी के कारण, लाल गुलाब मुरझाने लगा। उसकी पंखुड़ियां सूखने लगीं और उसकी चमक खो गई।

एक दिन, उसने देखा कि कुछ पक्षी कैक्टस के पास आकर अपनी चोंच डालकर कुछ पी रहे थे। यह देखकर गुलाब को आश्चर्य हुआ। उसने पास के देवदार से पूछा, “ये पक्षी कैक्टस के पास क्यों जाते हैं?” देवदार ने उत्तर दिया, “कैक्टस के अंदर पानी जमा है। वह इन पक्षियों की प्यास बुझा रहा है।”

दयालुता का संदेश

यह सुनकर गुलाब को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। उसने सोचा, “मैंने इसे हमेशा बेकार और बदसूरत समझा, लेकिन यह तो कितना उदार और उपयोगी है।” उसने झिझकते हुए कैक्टस से मदद मांगी, “कृपया मेरी मदद करो। मेरी जड़ें सूख रही हैं। मुझे थोड़ा पानी चाहिए।”

कैक्टस ने खुशी-खुशी पक्षियों को कहा कि वे अपनी चोंच में पानी भरकर गुलाब की जड़ों तक पहुंचाएं। पक्षियों ने ऐसा ही किया। गुलाब ने अपनी प्यास बुझाई और राहत महसूस की। उसने कैक्टस का धन्यवाद किया और महसूस किया कि उसने उसे गलत समझा था।

इस घटना के बाद, लाल गुलाब ने कभी किसी को उसके रूप या बाहरी सुंदरता के आधार पर आंकने की गलती नहीं की। उसे समझ में आया कि असली सुंदरता और मूल्य किसी के गुणों और योगदान में होती है।

नैतिक शिक्षा: किसी को उसके बाहरी रूप से नहीं, बल्कि उसके गुणों और उपयोगिता से आंकना चाहिए। हर जीव का इस दुनिया में एक उद्देश्य और महत्व होता है।

By SARIKA

My name is SARIKA. I have completed B.Ed and D.El.Ed. I am passionate about teaching and writing. Driven by this interest, I am associated with the Basic Shiksha Portal. My goal is to contribute to the field of education and provide helpful resources for children's development.

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