कविता: उठो लाल अब आँखें खोलो
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मात पिता को शीश झुकाते I नियम बनाकर रोज नहाते I हँसते हँसते पढ़ने जाते I नहीं पढ़ाई से घबराते I पढ़ लिखकर सीधे घर आते I वे अच्छे बच्चे…