Anti Leprosy Day Awareness in Schools: 30 जनवरी; एंटी लेप्रोसी डे पर स्कूलों में कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान | उत्तर प्रदेश

Anti Leprosy Day Awareness Campaign in Schoolsउत्तर प्रदेश के स्कूलों में कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान शुरू।

30 जनवरी, 2025 को एंटी लेप्रोसी डे (Anti Leprosy Day) के अवसर पर उत्तर प्रदेश के स्कूलों में कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान शुरू। जानें कैसे बच्चे और शिक्षक इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए पूरा लेख पढ़ें !

30 जनवरी, 2025 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों में एक विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है। यह अभियान कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता फैलाने और इस बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए है। इस दिन को “एंटी लेप्रोसी डे” के रूप में मनाया जाता है, और इसके तहत 30 जनवरी से 13 फरवरी, 2025 तक प्रदेश भर में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

क्यों है यह अभियान जरूरी?

कुष्ठ रोग, जिसे लेप्रोसी भी कहा जाता है, एक प्राचीन बीमारी है जो आज भी समाज में कलंक और भेदभाव का कारण बनी हुई है। लोगों में यह गलत धारणा है कि यह बीमारी पूर्वजन्म के पापों का परिणाम है या यह छूने से फैलती है। लेकिन यह सच नहीं है। कुष्ठ रोग एक बैक्टीरिया के कारण होता है और इसका पूर्ण इलाज संभव है। अगर समय पर इलाज मिल जाए, तो इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

स्कूलों की भूमिका

इस अभियान में स्कूलों को एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों और शिक्षकों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक करने के लिए एक शपथ दिलाई जाएगी। इस शपथ के माध्यम से बच्चे यह वादा करेंगे कि वे कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव नहीं करेंगे और उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिलाने में मदद करेंगे।

शपथ का संदेश

शपथ में कहा गया है कि हम सभी को कुष्ठ रोगियों की पहचान करने, उन्हें इलाज दिलाने और समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने में मदद करनी चाहिए। यह भी कहा गया है कि कुष्ठ रोग पूर्वजन्म का पाप नहीं है और न ही यह कोई अभिशाप है। इसके साथ ही, शपथ में यह संकल्प लिया गया है कि हम कुष्ठ प्रभावित लोगों और उनके परिवारों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे।

अभियान का लक्ष्य

इस अभियान का मुख्य लक्ष्य है कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता फैलाना और इस बीमारी से जुड़े कलंक को मिटाना। स्कूलों के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करके हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहाँ कुष्ठ रोगियों को सम्मान और सहानुभूति मिले।

हम क्या कर सकते हैं?

  1. जागरूकता फैलाएं: कुष्ठ रोग के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुँचाएं।
  2. भेदभाव मिटाएं: कुष्ठ रोगियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
  3. इलाज में मदद करें: अगर आपके आसपास कोई कुष्ठ रोग से पीड़ित है, तो उसे उचित इलाज दिलाने में मदद करें।

नारा

“आईये मिलकर जागरूकता फैलायें, भ्रांतियों को दूर भगायें, कुष्ठ प्रभावित कोई पीछे छूट न जाये।”

इस अभियान के माध्यम से हम एक बेहतर और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। आइए, हम सभी मिलकर कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता फैलाएं और इस बीमारी से जुड़े कलंक को मिटाने में अपना योगदान दें।

जय हिन्द, जय भारत!

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