सुप्रीम कोर्ट 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए TET अनिवार्यता पर फैसला सुनाएगा। जानें क्या होगा पुराने शिक्षकों और अल्पसंख्यक संस्थानों पर असर।
सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला: क्या पुराने शिक्षकों को पदोन्नति के लिए TET पास करना जरूरी?
सुप्रीम कोर्ट एक बड़े सवाल पर विचार करने जा रहा है: “क्या 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को पदोन्नति (प्रमोशन) पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य है?” यह मामला उन शिक्षकों से जुड़ा है जिनके पास 25-30 साल का शिक्षण अनुभव है, लेकिन उन्होंने TET नहीं दिया है। साथ ही, कोर्ट यह भी तय करेगा कि अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर TET की अनिवार्यता लागू होगी या नहीं।
पूरा मामला क्या है?
- 29 जुलाई 2011 का नियम:
इस दिन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने एक नियम बनाया था कि शिक्षक बनने के लिए TET पास करना जरूरी है। इस नियम के बाद, सभी नए शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य कर दिया गया। - वरिष्ठ शिक्षकों का सवाल:
लेकिन, 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए यह साफ नहीं था कि क्या पदोन्नति पाने के लिए भी उन्हें TET पास करना होगा। कई शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनके पास दशकों का अनुभव है, इसलिए TET की जरूरत नहीं होनी चाहिए। - अल्पसंख्यक संस्थानों पर असर:
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि अल्पसंख्यक संस्थान (जैसे मिशनरी स्कूल) अपने शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता को चुनौती दे रहे हैं। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत उन्हें अपने संस्थान चलाने का अधिकार है, इसलिए सरकार उन पर TET लागू नहीं कर सकती।
कोर्ट ने क्या कहा?
- मुख्य सवाल:
सुप्रीम कोर्ट ने दो मुख्य सवाल तय किए हैं:- क्या अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर TET लागू होगा?
- क्या 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को पदोन्नति के लिए TET पास करना जरूरी है?
- मद्रास हाईकोर्ट का पुराना फैसला:
2022 में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अल्पसंख्यक संस्थानों पर TET की अनिवार्यता लागू नहीं होगी। 2023 में हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि 2011 से पहले नियुक्त शिक्षक पदोन्नति पाने के लिए TET पास करें, लेकिन उनकी नौकरी खतरे में नहीं आएगी। - सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
कोर्ट ने साफ किया कि 29 जुलाई 2011 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य है, चाहे वे सीधी भर्ती से हों या पदोन्नति से।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
- पुराने शिक्षकों का भविष्य:
अगर सुप्रीम कोर्ट TET को अनिवार्य करता है, तो हज़ारों अनुभवी शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल पाएगी, जब तक वे परीक्षा पास नहीं करते। - अल्पसंख्यक संस्थानों की स्वतंत्रता:
अगर कोर्ट TET को अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू करता है, तो यह उनके संवैधानिक अधिकारों में दखल माना जाएगा। - शिक्षा की गुणवत्ता:
सरकार का कहना है कि TET शिक्षकों की योग्यता सुनिश्चित करता है, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरता है।
आगे की कार्रवाई:
- 6 फरवरी को सुनवाई:
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 6 फरवरी को सूचीबद्ध किया है। इस दिन न्यायालय सभी पक्षों (राज्य सरकार, शिक्षक, अल्पसंख्यक संस्थान) के तर्क सुनेगा। - अटॉर्नी जनरल की भूमिका:
कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (देश के सर्वोच्च वकील) से भी राय मांगी है, क्योंकि यह मामला शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) से जुड़ा है।
शिक्षकों के लिए सलाह:
- TET की तैयारी करें:
चूंकि मामला कोर्ट में है, शिक्षकों को सलाह दी जाती है कि वे TET की तैयारी शुरू कर दें, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो। - अपडेट रहें:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करें और शिक्षा विभाग की अधिसूचनाएं नियमित चेक करते रहें।
यह मामला देश भर के लाखों शिक्षकों और अल्पसंख्यक संस्थानों के भविष्य से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों के अधिकारों पर गहरा प्रभाव डालेगा। जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, सभी पक्षों को कोर्ट के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
केस टाइटल: स्कूल शिक्षा निदेशक चेन्नई 6 बनाम बी. एनी पैकियारानी बाई, SLP (सी) संख्या 2691/2022 (और संबंधित मामले)
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