Inspiring Story of Honesty and Strength | ईमानदारी और साहस की प्रेरणादायक कहानी | जानिए इस अनोखे अनुभव को

Inspiring Story of Honesty and Strengthएक ठंडी रात की ईमानदारी और साहस की प्रेरणादायक घटना

एक ठंडी रात में ईमानदारी और साहस की दिल छू लेने वाली कहानी (Inspiring Story of Honesty and Strength)। जानिए कैसे एक ऑटो ड्राइवर ने कठिनाई में भी अपना वादा निभाया।

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यह सर्दी की ठंडी रात थी। तेज हवा चल रही थी। राजू और मोहन बहुत दिनों बाद मिले थे। वे बातें कर रहे थे। उन्हें समय का पता ही नहीं चला।

जल्दी ही रात के दस बजने वाले थे। राजू और मोहन ने सोचा कि अब घर जाना चाहिए। उन्होंने एक ऑटो रिक्शा लेने का फैसला किया।

तभी क्या हुआ?

अचानक बारिश शुरू हो गई। वे जल्दी से एक ऑटो रिक्शा ढूंढने लगे। लेकिन कोई ऑटो रिक्शा नहीं रुका।

तभी एक ऑटो रिक्शा रुका। ड्राइवर ने पूछा, “कहाँ जाना है?”

राजू ने जगह का नाम बताया। ड्राइवर ने कहा, “बैठ जाइए!”

राजू और मोहन ने उसे धन्यवाद दिया और ऑटो में बैठ गए।

रात बहुत ठंडी थी। राजू ने ड्राइवर से कहा, “भैया, कहीं चाय की दुकान पर रोक देंगे? हम गरम चाय पी लेंगे।”

ड्राइवर ने पास की एक चाय की दुकान पर गाड़ी रोक दी।

राजू और मोहन ने चाय का ऑर्डर दिया। राजू ने ड्राइवर से कहा, “आप भी चाय पी लीजिए।”

ड्राइवर ने सिर हिलाते हुए मना कर दिया।

मोहन ने पूछा, “क्या आप इस दुकान की चाय नहीं पीते?”

ड्राइवर ने कहा, “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं।”

राजू ने फिर कहा, “एक कप चाय से क्या होगा? पी लीजिए।”

ड्राइवर मुस्कुराया और बोला, “नहीं, धन्यवाद।”

मोहन ने पूछा, “क्या आप बाहर का कुछ नहीं खाते-पीते?”

ड्राइवर ने कहा, “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।”

राजू और मोहन चुप हो गए। उन्होंने ड्राइवर को और नहीं कहा।

कुछ देर बाद वे अपने घर पहुँच गए। उन्होंने ड्राइवर को पैसे दिए।

राजू को कुछ अजीब लगा। उसने ड्राइवर से पूछा, “भैया, आप चाय क्यों नहीं पी रहे थे?”

ड्राइवर थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला, “साहब, आज दोपहर मेरे बेटे का एक्सीडेंट में निधन हो गया। मेरे पास उसके अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं हैं।”

राजू और मोहन सुनकर हैरान रह गए।

ड्राइवर ने आगे कहा, “मैंने कसम खाई है कि जब तक उसके अंतिम संस्कार के पैसे नहीं कमा लेता, मैं पानी भी नहीं पिऊँगा।”

राजू और मोहन की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने ड्राइवर को पैसे देने की कोशिश की।

ड्राइवर ने विनम्रता से मना कर दिया। वह बोला, “धन्यवाद, साहब। दो-तीन और सवारी मिल जाएँगी, तो पैसे पूरे हो जाएँगे।”

ड्राइवर ने उन्हें धन्यवाद कहा और चला गया।

राजू और मोहन उसके साहस और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुए।

कहानी से क्या सीख मिलती है?

हमें दूसरों के दुख को समझने और उनकी मदद करने का प्रयास करना चाहिए।

कठिन परिस्थितियों में भी ईमानदारी और साहस बनाए रखना चाहिए।

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By SARIKA

My name is SARIKA. I have completed B.Ed and D.El.Ed. I am passionate about teaching and writing. Driven by this interest, I am associated with the Basic Shiksha Portal. My goal is to contribute to the field of education and provide helpful resources for children's development.

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