Health is Wealth Story for Kids: स्वास्थ्य ही धन है: राजा की प्रेरक कहानी
जानिए बच्चों के लिए “स्वास्थ्य ही धन(Health is Wealth) है” की प्रेरणादायक कहानी। यह कहानी सिखाती है कि कैसे स्वस्थ रहकर जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।
कहानी को सुन भी सकते है और पढ़ भी सकते हैं सुनने के लिए नीचे ऑडियो को प्ले करें –
एक समय की बात है, एक राजा था जो बहुत दयालु और अच्छे दिल का था। लेकिन उसकी प्रजा उससे खुश नहीं थी। क्यों? क्योंकि राजा बहुत आलसी था। वह दिन-रात केवल खाता और सोता रहता था। राजा को अपने राज्य और प्रजा की कोई चिंता नहीं थी। धीरे-धीरे उसका आलस्य बढ़ता गया और वह इतना मोटा हो गया कि चलना-फिरना मुश्किल हो गया।
राजा हमेशा बिस्तर पर लेटा रहता। न तो वह बाहर जाता, न कोई काम करता। उसकी यह स्थिति देखकर प्रजा भी परेशान थी। दुश्मन राजा का मजाक उड़ाते और उसे “मोटा राजा” और “भारी राजा” कहकर चिढ़ाते थे। लेकिन राजा को अपनी हालत सुधारने की कोई परवाह नहीं थी।

राजा की समस्या और उसकी कोशिशें
एक दिन, राजा ने महसूस किया कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकता। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन उसका शरीर भारी हो गया था। तब राजा ने देश भर से बड़े-बड़े डॉक्टर बुलाए। उसने डॉक्टरों को इनाम देने का वादा किया। डॉक्टरों ने बहुत इलाज किया, लेकिन कोई भी राजा को ठीक नहीं कर पाया। राजा ने इस इलाज पर बहुत सारा पैसा खर्च किया, पर सब बेकार चला गया।
कुछ दिनों बाद, एक साधु उस राज्य में आया। उसने राजा की समस्या के बारे में सुना। साधु ने मंत्री से कहा, “मैं राजा को ठीक कर सकता हूँ।” यह सुनकर मंत्री बहुत खुश हुआ। उसने राजा से साधु से मिलने की बात कही।
साधु का अनोखा उपाय
लेकिन राजा ने कहा, “मैं चल नहीं सकता। साधु को मेरे महल में बुलाओ।” साधु ने यह बात सुनकर कहा, “अगर राजा ठीक होना चाहता है, तो उसे खुद मेरे पास पैदल आना होगा।” यह सुनकर राजा चिंतित हो गया, लेकिन ठीक होने की इच्छा ने उसे हिम्मत दी।
राजा ने अपने सेवकों की मदद से चलने की कोशिश की। बहुत मुश्किल से, वह साधु के घर पहुँचा। साधु ने राजा को देखकर कहा, “महाराज, आप एक अच्छे राजा हैं। मुझे विश्वास है कि आप जल्द ही ठीक हो जाएँगे। लेकिन इसके लिए आपको मेहनत करनी होगी।” राजा ने साधु की बात मान ली।
साधु ने कहा, “आपको रोज़ मेरे पास पैदल आना होगा। तभी आपकी सेहत सुधरेगी।” राजा के लिए यह बहुत कठिन था, लेकिन उसने साधु की बात मानी। वह रोज़ साधु के घर जाने लगा। जब भी वह साधु के घर पहुँचता, साधु कहता, “महाराज, आज मैं व्यस्त हूँ। आप कल आइए।” राजा बिना कुछ कहे लौट जाता।
राजा की मेहनत रंग लाई
ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। दो हफ्ते बीत गए। धीरे-धीरे राजा ने महसूस किया कि उसका वजन कम हो रहा है। वह हल्का और तंदुरुस्त महसूस करने लगा। उसकी ऊर्जा बढ़ने लगी और वह पहले से ज्यादा सक्रिय हो गया। अब राजा साधु के घर तक बिना किसी मदद के पैदल चलने लगा।
एक दिन, राजा ने साधु से कहा, “महाराज, आपने तो मेरा इलाज किया ही नहीं। फिर भी मैं ठीक कैसे हो गया?” साधु मुस्कुराते हुए बोला, “राजन, इलाज तो आप खुद कर रहे हैं। पैदल चलने और मेहनत करने से ही आपकी सेहत सुधरी है। आलस को छोड़ना ही सबसे बड़ी दवा है।”
नई शुरुआत और सीख
राजा को यह बात समझ में आ गई। अब वह रोज़ पैदल चलता, स्वस्थ भोजन करता और अपना काम खुद करता। उसकी प्रजा भी राजा की इस बदली हुई आदत से बहुत खुश थी। राजा ने सीखा कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है।
शिक्षा: स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। आलस्य छोड़कर मेहनत करने से ही हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। हमें हमेशा अपने शरीर का ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ शरीर से ही जीवन खुशहाल बनता है।