UP में 2025 के लिए अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) के चयन प्रक्रिया (ARP Bharti) के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें। जानें कैसे होगा चयन, कार्यकाल, और प्रदर्शन मूल्यांकन।
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत अकादमिक रिसोर्स पर्सन्स (एआरपी) की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, खासकर विद्यालयों में सहायक पर्यवेक्षण और शैक्षिक गतिविधियों में सुधार लाने के लिए। उत्तर प्रदेश में समग्र शिक्षा के अंतर्गत जो योजना बनाई गई है, उसके अनुसार, प्रत्येक विकासखंड में छह एआरपी होंगे, जिनमें से पांच एआरपी का चयन पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से होगा, जबकि एक पदेन एआरपी के रूप में जिला शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (डायट) का मेंटर होगा।
एआरपी की भूमिका क्या है? What is the role of ARP
एआरपी का कार्य मुख्य रूप से विद्यालयों में शिक्षकों को मार्गदर्शन देना, शैक्षिक सुधार में सहायता करना, और बच्चों के शैक्षिक स्तर में सुधार लाना होता है। इनका कार्यकाल एक वर्ष का होता है, और उनके प्रदर्शन का हर वर्ष मूल्यांकन किया जाता है। प्रदर्शन के आधार पर उनके कार्यकाल को अगले वर्ष के लिए बढ़ाया जाता है। अधिकतम तीन साल तक कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, इसके बाद चयन की प्रक्रिया दोबारा की जाती है।

चयन प्रक्रिया Selection Process
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि 31 मार्च को मौजूदा एआरपी का कार्यकाल खत्म होने वाला है। ऐसे में शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए उससे पूर्व ही इनके चयन की प्रक्रिया सभी जिलों में पूरी कर ली जाए। इसीलिए 2025-26 के शैक्षिक सत्र में, एआरपी के चयन के लिए शासनादेश जारी किया गया है। इसके तहत, एआरपी के चयन के लिए एक विशेष चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसमें एक जिला स्तरीय चयन समिति की भूमिका होगी। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में यह चयन समिति गठित की जाएगी। इसके अतिरिक्त, बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस समिति का सचिव नियुक्त किया जाएगा। इस प्रक्रिया में केवल वे शिक्षक शामिल हो सकते हैं, जिनके पास कम से कम पांच साल का शिक्षण अनुभव हो, रिटायर होने में दस साल से कम समय बचा हो, और जिनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न की गई हो।
चयन के मानदंड Selection Criteria
एआरपी के चयन के लिए कुछ प्रमुख मानदंड निर्धारित किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
- शिक्षण अनुभव: उम्मीदवार को कम से कम पांच साल का शिक्षण अनुभव होना चाहिए।
- अनुशासनात्मक रिकॉर्ड: उम्मीदवार के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई हो।
- रिटायरमेंट आयु: उम्मीदवार को रिटायरमेंट के लिए कम से कम दस साल का समय बचा होना चाहिए।
- विस्तृत प्रदर्शन मूल्यांकन: एआरपी का प्रदर्शन हर वर्ष मूल्यांकित किया जाएगा, और अच्छा प्रदर्शन होने पर उनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा।
- अधिकतम कार्यकाल: एआरपी का कार्यकाल अधिकतम तीन साल तक होगा.
कार्यकाल और नवीनीकरण Tenure and Renewa
एआरपी का कार्यकाल प्रारंभ में एक साल के लिए निर्धारित किया जाता है। हर साल उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। यदि एआरपी का प्रदर्शन संतोषजनक होता है, तो उनका कार्यकाल अगले वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाता है। अधिकतम तीन साल के बाद, नए चयन के लिए प्रक्रिया दोबारा अपनाई जाती है। 31 मार्च 2025 के बाद, यदि किसी एआरपी का कार्यकाल तीन वर्ष या इससे अधिक हो चुका है, तो उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और उन्हें पुनः चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
चयन प्रक्रिया का विस्तार Expansion of the Selection Process
शासनादेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र (2024-25) के अंत तक एआरपी का कार्यकाल 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है। इस समय के दौरान, इन एआरपी द्वारा विकासखंड के दस विद्यालयों को “निपुण विद्यालय” के रूप में विकसित करने का लक्ष्य पूरा करना होगा।
पुनर्गठन के संबंध में Regarding Restructuring
साथ ही, शासन ने यह भी निर्देश दिया है कि न्याय पंचायत संसाधन केंद्रों (NPRC) और ब्लॉक संसाधन केंद्रों (BRC) का पुनर्गठन किया जाएगा ताकि ये केंद्रों को और प्रभावी तरीके से चलाया जा सके। यह पुनर्गठन समग्र शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और शिक्षकों की मदद करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
एआरपी के लिए महत्वपूर्ण निर्देश Important Instructions for ARP
यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिकतम तीन साल के बाद, जिन्होंने एआरपी के रूप में कार्य किया है, उन्हें भविष्य में इस पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह नहीं माना जाएगा। इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में जिला चयन समिति बनाई जाएगी, जो एआरपी के चयन और उनके कार्यकाल के मूल्यांकन का कार्य करेगी।
एआरपी की चयन प्रक्रिया का महत्व Importance of ARP Selection Process
यह चयन प्रक्रिया न केवल गुणवत्ता वाले शिक्षकों को पहचानने में मदद करेगी, बल्कि यह समग्र शिक्षा के तहत बच्चों के शैक्षिक स्तर में सुधार करने में भी सहायक होगी। एआरपी के माध्यम से विद्यालयों में बेहतर पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन और शिक्षण गतिविधियों के कार्यान्वयन से शैक्षिक परिणामों में सुधार हो सकता है।
समग्र शिक्षा के अंतर्गत अकादमिक रिसोर्स पर्सन्स (एआरपी) का चयन और उनके कार्यकाल के मूल्यांकन की यह प्रक्रिया शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए एक अहम कदम है। यह सुनिश्चित करती है कि शिक्षक अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वहन करें और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। एआरपी के कार्यकाल का विस्तार और पुनर्गठन से समग्र शिक्षा के तहत छात्रों की गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है।
सारांश: (एक नजर में समझिये)
समग्र शिक्षा के अंतर्गत एआरपी के चयन, कार्यकाल और मूल्यांकन की प्रक्रिया एक पारदर्शी और योजनाबद्ध तरीके से की जाएगी, जो छात्रों के शैक्षिक स्तर को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
यहां सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को एक टेबल के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है:
विवरण | जानकारी |
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मुख्य विषय | अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) चयन प्रक्रिया, उत्तर प्रदेश 2025 |
चयन प्रक्रिया | प्रत्येक विकासखण्ड में 6 एआरपी होंगे – 5 चयन के आधार पर और 1 डायट मेंटर (पदेन एआरपी) होंगे। |
कार्यकाल | अधिकतम 3 वर्ष, प्रत्येक वर्ष प्रदर्शन मूल्यांकन के बाद नवीनीकरण होगा। |
नवीन चयन प्रक्रिया | अधिकतम 3 वर्ष के बाद पुनः चयन प्रक्रिया लागू होगी। |
नए एआरपी के चयन के लिए पात्रता | 5 वर्ष का शिक्षण अनुभव, रिटायरमेंट में कम से कम 10 वर्ष शेष, अनुशासनात्मक कार्रवाई न हो। |
जनपदीय चयन समिति | मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति का गठन किया जायेगा। |
कार्यक्रम की अंतिम तिथि | चयन प्रक्रिया 15 मार्च 2025 तक पूरी की जाएगी. |
कार्यकाल विस्तार | सत्र 2024-25 के लिए ARP का कार्यकाल 31 मार्च 2025 तक विस्तारित किया गया है। सत्र 2025-26 के लिए नवीन चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी. |
नवीन चयन के लिए अनर्हता | जो एआरपी 3 वर्ष या उससे अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, वे भविष्य में चयन के लिए योग्य नहीं होंगे। |
Disclaimer: यह जानकारी केवल सूचनार्थ प्रदान की गई है। यद्यपि इसे आपकी सरलता और बेहतर समझ के लिए आसान भाषा में प्रस्तुत किया गया है, फिर भी शासन द्वारा जारी किया गया शासनादेश ही मान्य और प्रभावी होगा। भविष्य में शासनादेश में किए जाने वाले किसी भी परिवर्तन को ही लागू किया जाएगा। और वही अंतिम रूप से मान्य होगा. इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार शासनादेश का अवलोकन अवश्य कर लें.
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