उत्तर प्रदेश के स्कूलों में विद्या प्रवेश कार्यक्रम School Readiness Program शुरू! जानें कैसे यह 12 सप्ताह का प्रोग्राम कक्षा-1 के बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करेगा। अधिक जानकारी के लिए पूरा लेख पढ़ें।
शैक्षिक सत्र 2025-26 से यह कार्यक्रम प्रदेश के हर जिले में चलेगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) और निपुण भारत मिशन के तहत उत्तर प्रदेश के स्कूलों में एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसका नाम है “विद्या प्रवेश” या “स्कूल रेडीनेस प्रोग्राम”। यह कार्यक्रम कक्षा-1 में नए दाखिल होने वाले बच्चों को स्कूल की औपचारिक शिक्षा के लिए मानसिक और शैक्षिक रूप से तैयार करने के लिए बनाया गया है। आइए जानते हैं कि यह कार्यक्रम क्यों खास है और यह बच्चों के भविष्य को कैसे बदलने वाला है।
विद्या प्रवेश कार्यक्रम क्या है?
यह एक 12 सप्ताह का गतिविधि-आधारित कार्यक्रम है, जो कक्षा-1 के बच्चों को भाषा (हिंदी/अंग्रेजी) और गणित की बुनियादी समझ विकसित करने में मदद करता है। इसमें बच्चे खेल-खेल में, कहानियों, कविताओं, चित्रकारी, और गिनती के माध्यम से सीखते हैं। इसका मकसद है कि बच्चे स्कूल के माहौल से जुड़ें और पढ़ाई को डर या बोझ न समझें।
क्यों जरूरी है यह कार्यक्रम?
- निपुण भारत मिशन का लक्ष्य: 2030 तक सभी बच्चों को पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (Pre-School) देना।
- फाउंडेशनल स्किल्स: बच्चों में भाषा और गणित की बुनियादी दक्षताएँ (जैसे अक्षर ज्ञान, संख्याओं की पहचान) विकसित करना।
- स्कूल की तैयारी: बच्चे स्कूल के नियमों, समूह में काम करने, और शिक्षकों से बातचीत करने में सहज होते हैं।
किन स्कूलों में लागू होगा यह कार्यक्रम?
- सभी परिषदीय विद्यालय (सरकारी स्कूल)।
- सहायता प्राप्त विद्यालय (Aided Schools)।
- निजी विद्यालय (Private Schools)।
शैक्षिक सत्र 2025-26 से यह कार्यक्रम प्रदेश के हर जिले में चलेगा।
बच्चों को कैसे फायदा होगा?
- मस्ती के साथ सीखना: बच्चे खेल-कूद और क्रिएटिव एक्टिविटीज से बिना दबाव के सीखेंगे।
- आत्मविश्वास बढ़ेगा: भाषा और गणित की बेसिक समझ से कक्षा में पीछे नहीं रहेंगे।
- स्कूल से जुड़ाव: बच्चे स्कूल जाने में उत्साहित होंगे, डर या झिझक कम होगी।
अभिभावक और शिक्षक कैसे मदद कर सकते हैं?
- बच्चों को घर पर भी कहानियाँ सुनाएँ, चित्र बनाने या गिनती के खेल खेलें।
- स्कूल की गतिविधियों में बच्चों को प्रोत्साहित करें।
- शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे बच्चों को बेहतर गाइड कर सकें।
5 महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (FAQ):
1. विद्या प्रवेश कार्यक्रम कब तक चलेगा?
यह कार्यक्रम कक्षा-1 के शैक्षिक सत्र की शुरुआत में 12 सप्ताह (3 महीने) तक चलेगा।
2. क्या यह प्रोग्राम निजी स्कूलों में भी अनिवार्य है?
जी हाँ! उत्तर प्रदेश के सभी निजी, सरकारी, और सहायता प्राप्त स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा।
3. बच्चों को होमवर्क या टेस्ट का प्रेशर होगा?
बिल्कुल नहीं! यह पूरी तरह गतिविधि-आधारित है। इसमें बच्चों को खेल और समूह कार्यों के माध्यम से सिखाया जाएगा।
4. क्या इससे बच्चों की पढ़ाई की नींव मजबूत होगी?
हाँ। यह कार्यक्रम बच्चों में भाषा, गणित, और सोचने की क्षमता का आधार तैयार करेगा, जो आगे की कक्षाओं में मदद करेगा।
5. अधिक जानकारी कहाँ से मिलेगी?
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट www.basiceducation.up.gov.in पर विजिट करें या ईमेल (upefaspo@gmail.com) पर संपर्क करें।
विद्या प्रवेश कार्यक्रम बच्चों के लिए एक “सीखने की खुशनुमा शुरुआत” है। यह न सिर्फ उन्हें पढ़ाई के लिए तैयार करेगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास और रचनात्मकता को भी बढ़ाएगा। अगर आप एक अभिभावक या शिक्षक हैं, तो इस मुहिम का हिस्सा बनें और बच्चों का साथ दें!
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NEP 2020 के बारे में जानें (संक्षेप में)-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020): प्राथमिक शिक्षा का नया रोडमैप
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह बदलने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका मुख्य लक्ष्य है “शिक्षा को समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और जीवन के साथ जोड़ने वाला” बनाना। प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 5) के संदर्भ में NEP 2020 कई बड़े बदलाव लाती है, जिनमें विद्या प्रवेश कार्यक्रम जैसी पहलें शामिल हैं। आइए इसे सरल भाषा में समझें:
1. पहली प्राथमिकता: फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरेसी
NEP 2020 का सबसे बड़ा फोकस है “भाषा और गणित की बुनियादी समझ”। यह मानती है कि अगर बच्चे कक्षा 3 तक पढ़ने, लिखने और गिनने की बुनियादी दक्षता हासिल नहीं कर पाते, तो आगे की पढ़ाई में उन्हें दिक्कत होती है। इसीलिए:
- विद्या प्रवेश जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जो कक्षा-1 के बच्चों को 12 हफ्ते तक खेल-खेल में भाषा और गणित सिखाते हैं।
- निपुण भारत मिशन के तहत 2026-27 तक सभी बच्चों में फाउंडेशनल स्किल्स विकसित करने का लक्ष्य है।
2. पढ़ाई का नया ढंग: रटने की बजाय समझने पर जोर
NEP 2020 कहती है कि “पढ़ाई को रटने की बजाय अनुभव और समझ से जोड़ो”। इसके लिए:
- गतिविधि-आधारित शिक्षण (Activity-Based Learning): विद्या प्रवेश कार्यक्रम में बच्चे कहानियाँ, गाने, चित्रकला और खेल के जरिए सीखते हैं।
- मल्टीपल इंटेलिजेंस पर फोकस: हर बच्चे की अलग प्रतिभा (जैसे कला, संगीत, तर्कशक्ति) को पहचानकर उसे बढ़ावा देना।
3. स्कूल स्ट्रक्चर में बदलाव: 5+3+3+4 पैटर्न
NEP 2020 ने स्कूली शिक्षा को नए चरणों में बाँटा है:
- फाउंडेशनल स्टेज (3-8 वर्ष): इसमें 3 साल की प्री-प्राइमरी (बालवाटिका) + कक्षा 1-2 शामिल हैं। विद्या प्रवेश कार्यक्रम इसी चरण का हिस्सा है।
- प्रीपेरेटरी स्टेज (8-11 वर्ष): कक्षा 3-5, जहाँ बच्चे बुनियादी विषयों की गहरी समझ विकसित करते हैं।
4. भाषा की नीति: मातृभाषा को प्राथमिकता
NEP 2020 के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा (कम से कम कक्षा 5 तक) मातृभाषा या स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए। इससे:
- बच्चों को समझने में आसानी होती है।
- विद्या प्रवेश कार्यक्रम में कहानियाँ और गतिविधियाँ स्थानीय भाषा में होती हैं।
5. टीचर्स का प्रशिक्षण और मूल्यांकन
- शिक्षकों को ट्रेनिंग: NEP 2020 के तहत शिक्षकों को बाल मनोविज्ञान और एक्टिविटी-बेस्ड टीचिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
- मूल्यांकन में बदलाव: अब बच्चों को सालभर उनकी प्रगति के आधार पर आँका जाएगा, न कि सिर्फ परीक्षाओं के नंबरों से।
6. टेक्नोलॉजी और डिजिटल शिक्षा
- डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल: एनिमेशन, ऑडियो-वीडियो और इंटरएक्टिव गेम्स से पढ़ाई को रोचक बनाना।
- ऑनलाइन रिसोर्सेज: DIKSHA पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्म पर शिक्षकों और छात्रों के लिए मुफ्त सामग्री उपलब्ध है।
7. समावेशी शिक्षा: हर बच्चे तक पहुँच
NEP 2020 का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है “किसी बच्चे को पीछे न छोड़ें”। इसके लिए:
- वंचित समूहों पर फोकस: आदिवासी, दिव्यांग और गरीब परिवारों के बच्चों के लिए विशेष योजनाएँ।
- लड़कियों की शिक्षा: गाँव-गाँव में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना।
विद्या प्रवेश कार्यक्रम: NEP 2020 का प्रैक्टिकल उदाहरण
NEP 2020 की सभी बातों को विद्या प्रवेश कार्यक्रम में शामिल किया गया है:
- यह 12 सप्ताह का कोर्स बच्चों को स्कूल के माहौल से जोड़ता है।
- इसमें भाषा और गणित को खेल-खेल में सिखाया जाता है।
- यह कार्यक्रम सभी प्रकार के स्कूलों (सरकारी, प्राइवेट, सहायता प्राप्त) में चलाया जा रहा है।
NEP 2020 प्राथमिक शिक्षा को “रट्टू तोता पद्धति” से आगे बढ़ाकर “समझ और रचनात्मकता” पर केंद्रित करती है। विद्या प्रवेश जैसे कार्यक्रम इसी दिशा में एक कदम हैं। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो भारत के बच्चे न सिर्फ पढ़ना-लिखना सीखेंगे, बल्कि सोचने, समझने और नई चीजें बनाने की क्षमता भी विकसित करेंगे।


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